सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

कब्र (लघुकथा)

 कब्र....


कब्र के कान नहीं होते?

लेकिन मिट्टी ने मिट्टी की भाषा सुन ली।


क्यों री तू कैसे मरी  'देख सब कैसे रो रहे है। तेरे मरने पर भी चंदन की लकड़ी का इंतज़ाम किया है इन्होंने'

बड़ी भागो वाली है, कितना बड़ा परिवार है तेरा।

सब नाटक कर रहे है जिज्जी, जब मैं जिंदा थी एक-एक रुपए के लिए मोहताज थी। कभी खसम के आगे तो कभी बेटों के आगे हाथ फैलती , बदले में गालियां और ताने सुनती थी। सारा दिन डंगरों के जैसे घर मे जूती रहती थी। 

फिर घर में बहुएं आ गई, उनके आते ही मेरा वो छोटा सा कमरा भी मुझसे छिन गया। मेरी खाट आंगन के कोने में लगा दी गई। वहाँ दो घड़ी भी चैन न मिलता था। कभी बारिश तो कभी सर्दी तो कभी जेठ की लू सब सहती थी। और बदले में सुनती थी।

'कब तक ये बुढ़िया यूं ही सेवा करवाती रहेगी।

कब पिछा छूटेगा इससे पता नहीं'

ये जल्दी से निपट जाए तो हम गंगा नहा ले।


टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

कूची (अत्यंत छोटी लघुकथा)

  शादी के बाद स्त्रियां अक्सर बन जाती है "कूची" घर की दीवारों के जैसे घर "रंग" देती है, और खुद बन जाती है बदरंग "पुताई वालों" के जैसे।।

मुसीबत तो बस एक नजरिया है

  एक बार अकबर-बीरबल जनफल में शिकार के लिए गए। वहां अकबर को अंगूठे में चोट लग गई। यह देख बीरबल हँसते हुए बोले, ' महाराज जो होता है अच्छे के लिए होता है।' इस पर अकबर नाराज हो गए आए सिपाहियों को आदेश दिया कि बीरबल को रास्ते भर कोड़े मारते हुए ले जाओ आर कल सुबह फांसी दे देना। फिर अकबर अकेले शिकार पर चले गए। वहां उन्हें जंगली लोगो ने पकड़ लिया और बलि देने के लिए ले गए। बलि के लिए अकबर को बैठाते हुए एक जंगली चीखा, 'इसके अंगूठे में चोट है। यह अशुद्ध है इसे छोड़ दो।' अब अकबर दुःखी हो गए और सोचने लगे कि उन्होंने बेवजह बीरबल को फांसी दे दी। वे दौड़कर गए और फांसी रुकवा दी। फिर बीरबल से माफी मांगते हुए बोले, 'देखो मैंने तुम्हारा क्या हाल बना दिया।' इस पर बीरबल कहते हैं, 'महाराज जो होता है अच्छे के लिए होता है।' हैरान अकबर पूछते है, तुम पागल हो क्या, कोड़े खाने में क्या अच्छा हो सकता है?' बीरबल जवाब देते हैं,  'महाराज, अगर मैं आपके साथ रुकता तो वो जंगली लोग मेरी बलि चढ़ा देते।'

पागल माँ

  एक पागल स्त्री को एक समझदार पुरुष माँ बना चला गया। वो रोते बच्चे को गोद में लिए दूध के लिए भीख मांग रही थी। तभी एक दूसरी स्त्री ने 20रु दुकानवाले को देकर कहा इसे बच्चे के लिए दूध दे दे। लेकिन वो पागल दुकानवाले से बोली अभी 10रु का ही दूध दे 10रु का बाद में ले लूंगी दूध फट गया तो? माँ बनते ही पागल स्त्री भी समझदार हो गई। दूसरी स्त्री निःशब्द उसे ताकती रह गई।