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कूची (अत्यंत छोटी लघुकथा)

 


शादी के बाद स्त्रियां अक्सर बन जाती है "कूची"

घर की दीवारों के जैसे घर "रंग" देती है,

और खुद बन जाती है बदरंग "पुताई वालों" के जैसे।।


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मुसीबत तो बस एक नजरिया है

  एक बार अकबर-बीरबल जनफल में शिकार के लिए गए। वहां अकबर को अंगूठे में चोट लग गई। यह देख बीरबल हँसते हुए बोले, ' महाराज जो होता है अच्छे के लिए होता है।' इस पर अकबर नाराज हो गए आए सिपाहियों को आदेश दिया कि बीरबल को रास्ते भर कोड़े मारते हुए ले जाओ आर कल सुबह फांसी दे देना। फिर अकबर अकेले शिकार पर चले गए। वहां उन्हें जंगली लोगो ने पकड़ लिया और बलि देने के लिए ले गए। बलि के लिए अकबर को बैठाते हुए एक जंगली चीखा, 'इसके अंगूठे में चोट है। यह अशुद्ध है इसे छोड़ दो।' अब अकबर दुःखी हो गए और सोचने लगे कि उन्होंने बेवजह बीरबल को फांसी दे दी। वे दौड़कर गए और फांसी रुकवा दी। फिर बीरबल से माफी मांगते हुए बोले, 'देखो मैंने तुम्हारा क्या हाल बना दिया।' इस पर बीरबल कहते हैं, 'महाराज जो होता है अच्छे के लिए होता है।' हैरान अकबर पूछते है, तुम पागल हो क्या, कोड़े खाने में क्या अच्छा हो सकता है?' बीरबल जवाब देते हैं,  'महाराज, अगर मैं आपके साथ रुकता तो वो जंगली लोग मेरी बलि चढ़ा देते।'

पागल माँ

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